मौर्य साम्राज्य (321 ई.पू. – 185 ई.पू.) भारत का पहला विशाल साम्राज्य था, जिसने कला, साहित्य, और स्थापत्य में अद्वितीय योगदान दिया। चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, और विशेष रूप से अशोक के शासनकाल में मौर्यकालीन संस्कृति ने भारतीय इतिहास में स्वर्णिम युग की स्थापना की। मौर्यकालीन साहित्य और कला न केवल भारतीय सभ्यता की गहराई को दर्शाती है, बल्कि यह धर्म, सहिष्णुता और कला के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।
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मौर्य साहित्य: ज्ञान का प्रकाश
मौर्यकालीन साहित्य में प्राचीन भारतीय ज्ञान और समाज व्यवस्था का समृद्ध वर्णन मिलता है। इस समय के प्रमुख ग्रंथ और साहित्यिक कृतियां निम्नलिखित हैं:
1. कौटिल्य का अर्थशास्त्र
- कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा रचित इस ग्रंथ में राजनीति, अर्थव्यवस्था, और प्रशासन का विस्तृत वर्णन है।
- यह मौर्य साम्राज्य के प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक संरचना को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
2. अशोक के शिलालेख
- अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान ‘धम्म’ (धर्म) के प्रचार-प्रसार के लिए पत्थरों और स्तंभों पर संदेश लिखवाए।
- ये शिलालेख ब्राह्मी, खरोष्ठी, और ग्रीक जैसी लिपियों में लिखे गए।
- मुख्य विषय: अहिंसा, धार्मिक सहिष्णुता, जनकल्याण और नैतिकता।
3. जातक कथाएं
- इन कथाओं में बौद्ध धर्म की शिक्षाएं और सिद्धांत समाहित हैं।
- जातक कथाएं उस समय की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक परिपाटी को समझने का साधन हैं।
मौर्यकालीन कला: एक कलात्मक चमत्कार
मौर्यकालीन कला ने भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला को नई ऊंचाई दी। इस युग की कला बौद्ध धर्म के प्रचार और सम्राट अशोक के धम्म संदेशों से प्रेरित थी।
1. स्तंभ वास्तुकला
- सारनाथ का सिंह स्तंभ: राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध, इसमें चार शेर एक गोलाकार आधार पर अंकित हैं।
- स्तंभों का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया और उन पर अद्भुत पॉलिश दी गई।
- इन स्तंभों पर शिलालेख लिखे गए, जो अशोक के धम्म संदेशों को जनता तक पहुंचाने का माध्यम थे।
2. गुफा वास्तुकला
- बाराबर और नागार्जुनी गुफाएं: इन गुफाओं को अजीवक संप्रदाय के साधुओं के लिए बनवाया गया था।
- गुफाओं की दीवारों पर पॉलिश इतनी चमकदार है कि यह आईने की तरह प्रतीत होती है।
- ये गुफाएं भारतीय स्थापत्य कला की उन्नति का प्रतीक हैं।
3. स्तूप निर्माण
- सांची स्तूप: मौर्यकालीन स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण, यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था।
- स्तूपों का निर्माण बौद्ध धर्म के प्रचार और भगवान बुद्ध के प्रतीकों को संरक्षित करने के लिए किया गया।
4. मूर्तिकला
- मौर्यकालीन मूर्तिकला में बौद्ध प्रतीकों और धार्मिक भावनाओं का गहरा प्रभाव दिखता है।
- अशोक के सिंह स्तंभ और हाथी की मूर्तियां उनकी मूर्तिकला की उत्कृष्टता का प्रमाण हैं।
मौर्यकालीन कला और साहित्य का प्रभाव
मौर्यकालीन साहित्य और कला का प्रभाव भारत और विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण रहा। अशोक द्वारा अपनाई गई सहिष्णुता और अहिंसा की नीतियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं।
- मौर्यकालीन स्तंभ और शिलालेख भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण प्रमाण हैं।
- इस युग की वास्तुकला ने आने वाले गुप्तकालीन स्थापत्य और मूर्तिकला को प्रभावित किया।
- बौद्ध धर्म का प्रसार श्रीलंका, तिब्बत, और अन्य एशियाई देशों तक हुआ।
निष्कर्ष
मौर्यकालीन साहित्य और कला भारतीय इतिहास में न केवल एक महत्वपूर्ण अध्याय है, बल्कि यह सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विकास का आधार भी है। मौर्य साम्राज्य ने भारतीय कला, साहित्य और स्थापत्य को एक नई पहचान दी, जो आज भी विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है।