RBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 titled “कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप” is a moving poetic excerpt from Tulsidas’s famous work “कवितावली”. This chapter is an emotional and dramatic portrayal of a critical moment in the Ramayana, focusing on the fainting (मूच्छा) of Lakshman and the heart-wrenching grief of Lord Ram over his brother’s condition.
RBSE Class 12 Hindi Solutions, कवितावली Chapter 8 Solutions, तुलसीदास कवितावली Solutions, राम विलाप Solutions

In this article, we will provide an in-depth summary and RBSE solutions to help students understand the essence of the poem, key themes, and Tulsidas’s literary artistry.
Table of Contents
Summary of Chapter 7: कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप
This part of “कवितावली” presents an intense and emotional moment from the epic Ramayana. The poet Tulsidas vividly describes the situation when Lakshman, after being injured, falls unconscious (मूच्छा) in the battlefield during the war against Ravana. Seeing his beloved brother in such a dire state, Lord Ram is devastated. His grief knows no bounds, and he begins to lament the possible loss of his dear Lakshman.
Tulsidas masterfully captures Ram’s profound emotional turmoil and his deep affection for Lakshman, making this episode one of the most heart-wrenching in the Ramayana. Ram’s lamentation (विलाप) reflects his love for his brother, and his feelings of helplessness further highlight the human side of divine beings in epic literature.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.
कवितावली में उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है। (CBSE-2010, 2015)
अथवा
‘कवितावली’ के आधार पर पुष्टि कीजिए कि तुलसी को अपने समय की आर्थिक-सामाजिक समस्याओं की जानकारी थी। (CBSE-2016)
उत्तर:
‘कवितावली’ में उद्धृत छंदों के अध्ययन से पता चलता है कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है। उन्होंने समकालीन समाज का यथार्थपरक चित्रण किया है। वे समाज के विभिन्न वगों का वर्णन करते हैं जो कई तरह के कार्य करके अपना निर्वाह करते हैं। तुलसी दास तो यहाँ तक बताते हैं कि पेट भरने के लिए लोग गलत-सही सभी कार्य करते हैं। उनके समय में भयंकर गरीबी व बेरोजगारी थी। गरीबी के कारण लोग अपनी संतानों तक को बेच देते थे। बेरोजगारी इतनी अधिक थी कि लोगों को भीख तक नहीं मिलती थी। दरिद्रता रूपी रावण ने हर तरफ हाहाकार मचा रखा था।
प्रश्न 2.
पेट की आग का शमन ईश्वर ( राम ) भक्ति का मेघ ही कर सकता है—तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तुर्क संगत उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब पेट में आग जलती है तो उसे बुझाने के लिए व्यक्ति हर तरह का उलटा अथवा बुरा कार्य करता है, किंतु यदि वह ईश्वर का नाम जप ले तो उसकी अग्नि का शमन हो सकता है क्योंकि ईश्वर की कृपा से वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है। तुलसी का यह काव्य सत्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस समय था। ईश्वर भक्ति का मेघ ही मनुष्य को अनुचित कार्य करने से रोकने की क्षमता रखता है।
प्रश्न 3.
तुलसी ने यह कहने की ज़रूरत क्यों समझी? धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ/काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहूकी जाति बिगार न सोऊ। इस सवैया में काहू के बेटासों बेटी न ब्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आती?
उत्तर:
तुलसीदास के युग में जाति संबंधी नियम अत्यधिक कठोर हो गए थे। तुलसी के संबंध में भी समाज ने उनके कुल व जाति पर प्रश्नचिहन लगाए थे। कवि भक्त था तथा उसे सांसारिक संबंधों में कोई रुचि नहीं थी। वह कहता है कि उसे अपने बेटे का विवाह किसी की बेटी से नहीं करना। इससे किसी की जाति खराब नहीं होगी क्योंकि लड़की वाला अपनी जाति के वर ढूँढ़ता है। पुरुष-प्रधान समाज में लड़की की जाति विवाह के बाद बदल जाती है। तुलसी इस सवैये में अगर अपनी बेटी की शादी की बात करते तो संदर्भ में बहुत अंतर आ जाता। इससे तुलसी के परिवार की जाति खराब हो जाती। दूसरे, समाज में लड़की का विवाह न करना गलत समझा जाता है। तीसरे, तुलसी बिना जाँच के अपनी लड़की की शादी करते तो समाज में जाति-प्रथा पर कठोर आघात होता। इससे सामाजिक संघर्ष भी बढ़ सकता था।
प्रश्न 4.
धूत कहौ ….. वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं? (CBSE-2013, 2014, 2017)
उत्तर:
तुलसीदास का जीवन सदा अभावों में बीता, लेकिन उन्होंने अपने स्वाभिमान को जगाए रखा। इसी प्रकार के भाव उनकी भक्ति में भी आए हैं। वे राम के सामने गिड़गिड़ाते नहीं बल्कि जो कुछ उनसे प्राप्त करना चाहते हैं वह भक्त के अधिकार की दृष्टि से प्राप्त करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी स्वाभिमानी भक्ति का परिचय देते हुए राम से यही कहा है कि मुझ पर कृपा करो तो भक्त समझकर न कि कोई याचक या भिखारी समझकर।।
प्रश्न 5.
व्याख्या करें
(क) मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू॥
(ख) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही॥
(ग) माँग के खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु ने दैबको दोऊ॥
(घ) ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट को ही पचत, बेचत बेटा-बेटकी॥
उत्तर:
(क) लक्ष्मण के मूर्चिछत होने पर राम विलाप करते हुए कहते हैं कि तुमने मेरे हित के लिए माता-पिता का त्याग कर दिया और वनवास स्वीकार किया। तुमने वन में रहते हुए सर्दी, धूप, आँधी आदि सहन किया। यदि मुझे पहले ज्ञात होता कि वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊँगा तो मैं पिता की बात नहीं मानता और न ही तुम्हें अपने साथ लेकर वन आता। राम लक्ष्मण की नि:स्वार्थ सेवा को याद कर रहे हैं।
(ख) मूर्चिछत लक्ष्मण को गोद में लेकर राम विलाप कर रहे हैं कि तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जैसे पंखों के बिना पक्षी की, मणि के बिना साँप की और सँड़ के बिना हाथी की स्थिति दयनीय हो जाती है। ऐसी स्थिति में मैं अक्षम व असहाय हो गया हूँ। यदि भाग्य ने तुम्हारे बिना मुझे जीवित रखा तो मेरा जीवन इसी तरह शक्तिहीन रहेगा। दूसरे शब्दों में, मेरे तेज व पराक्रम के पीछे तुम्हारी ही शक्ति कार्य करती रही है।
(ग) तुलसीदास ने समाज से अपनी तटस्थता की बात कही है। वे कहते हैं कि समाज की बातों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वे किसी पर आश्रित नहीं हैं वे मात्र राम के सेवक हैं। जीवन-निर्वाह के लिए भिक्षावृत्ति करते हैं तथा मस्जिद में सोते हैं। उन्हें संसार से कोई लेना-देना नहीं है।
(घ) तुलसीदास ने अपने समय की आर्थिक दशा का यथार्थपरक चित्रण किया है। इस समय लोग छोटे-बड़े, गलतसही सभी प्रकार के कार्य कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी भूख मिटानी है। वे कर्म की प्रवृत्ति व तरीके की परवाह नहीं करते। पेट की आग को शांत करने के लिए वे अपने बेटा-बेटी अर्थात संतानों को भी बेचने के लिए विवश हैं अर्थात पेट भरने के लिए व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है।
प्रश्न 6.
भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा तो राम एकदम विह्वल हो उठे। वे ऐसे रोए जैसे कोई बालक पिता से बिछुड़कर होता है। सारी मानवीय संवेदनाएँ उन्होंने प्रकट कर दीं। जिस प्रकार मानव-मानव के लिए रोता है ठीक वैसा ही राम ने किया। राम के ऐसे रूप को देखकर यही कहा जा सकता है कि राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। मानव में अपेक्षित सारी अनुभूतियाँ इस शोक सभा में दिखाई देती हैं।
प्रश्न 7.
शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
उत्तर:
हनुमान लक्ष्मण के इलाज के लिए संजीवनी बूटी लाने हिमालय पर्वत गए थे। उन्हें आने में देर हो रही थी। इधर राम बहुत व्याकुल हो रहे थे। उनके विलाप से वानर सेना में शोक की लहर थी। चारों तरफ शोक का माहौल था। इसी बीच हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आ गए। सुषेण वैद्य ने तुरंत संजीवनी बूटी से दवा तैयार कर के लक्ष्मण को पिलाई तथा लक्ष्मण ठीक हो गए। लक्ष्मण के उठने से राम का शोक समाप्त हो गया और सेना में उत्साह की लहर दौड़ गई। लक्ष्मण स्वयं उत्साही वीर थे। उनके आ जाने से सेना का खोया पराक्रम प्रगाढ़ होकर वापस आ गया। इस तरह हनुमान द्वारा पर्वत उठाकर लाने से शोक-ग्रस्त माहौल में वीर रस का आविर्भाव हो गया था।
प्रश्न 8.
“जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई । नारि हेतु प्रिय भाइ गॅवाई॥
बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं॥
भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप-वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है?
उत्तर:
इस वचन में नारी के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण दिखाई देता है। राम ने अपनी पत्नी के खो जाने से बढ़कर लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने को महत्त्व दिया है। उन्हें इस बात का पछतावा होता है कि नारी के लिए मैंने भाई खो दिया है यह सबसे बड़ा कलंक है। यदि नारी खो जाए तो उसके खो जाने से कोई बड़ी हानि नहीं होती। नारी से बढ़कर तो भाई-बंधु हैं जिनके कारण व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा पाता है, यदि वही खो जाए तो माथे पर जीवनभर के लिए कलंक लग जाता है।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.
कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में पत्नी (इंदुमती) के मृत्यु-शोक पर ‘अज’ तथा निराला की ‘सरोज-स्मृति’ में पुत्री (सरोज) के मृत्यु-शोक पर पिता के करुण उद्गार निकले हैं। उनसे भ्रातृशोक में डूबे राम के इस विलाप की तुलना करें।
उत्तर:
‘सरोज-स्मृति’ में कवि निराला ने अपनी पुत्री की मृत्यु पर उद्गार व्यक्त किए थे। ये एक असहाय पिता के उद्गार थे जो अपनी पुत्री की आकस्मिक मृत्यु के कारण उपजे थे। भ्रातृशोक में डूबे राम का विलाप निराला की तुलना में कम है। लक्ष्मण अभी सिर्फ़ मूर्चिछत ही हुए थे। उनके जीवित होने की आशा बची हुई थी। दूसरे, सरोज की मृत्यु के लिए निराला की कमजोर आर्थिक दशा जिम्मेदार थी। वे उसकी देखभाल नहीं कर पाए थे, जबकि राम के साथ ऐसी समस्या नहीं थी।
प्रश्न 2.
‘पेट ही को पचत, बेचते बेटा-बेटकी’ तुलसी के युग का ही नहीं आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों (खासकर बेटियों) को भी बेच डालने की हृदयविदारक घटनाएँ हमारे देश में घटती रही हैं। वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी के युग की तुलना करें। (CBSE-2013)
उत्तर:
भुखमरी की स्थिति बहुत दयनीय होती है। व्यक्ति भुखमरी की इस दयनीय स्थिति में हर प्रकार का नीच कार्य करता है। कर्ज लेता है, बेटा-बेटी तक को बेच देता है। जब कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है तो आत्महत्या तक कर लेता है। तुलसी का समाज भी लगभग वैसा ही था जैसा कि आज का भारतीय मध्यवर्गीय समाज। उस समय की परिस्थिति भी बहुत भयानक थी। लोगों के पास कमाने का कोई साधन न था ऊपर से अकाल ने लोगों को भुखमरी के किनारे तक पहुँचा दिया। इस स्थिति से तंग आकर व्यक्ति वे सभी अनैतिक कार्य करने लगे। बेटा-बेटी का सौदा करने लगे। यदि साहूकार का ऋण नहीं उतरता है तो स्वयं मर जाते थे। ठीक यही परिस्थिति हमारे समाज की है। किसान कर्ज न चुकाने की स्थिति में आत्महत्याएँ कर रहे हैं। कह सकते हैं कि तुलसी का युग और आज का युग एक ही है। आर्थिक दृष्टि से दोनों युगों में विषमताएँ रहीं।
प्रश्न 3.
तुलसी के युग की बेकारी के क्या कारण हो सकते हैं? आज की बेकारी की समस्या के कारणों के साथ उसे मिलाकर कक्षा में परिचर्चा करें।
उत्तर:
तुलसी के युग में बेकारी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- खेती के लिए पानी उपलब्ध न होना।
- बार-बार अकाल पडना।
- अराजकता।
- व्यापार व वाणिज्य में गिरावट।
आज बेकारी के कारण पहले की अपेक्षा भिन्न हैं-
- भ्रष्टाचार।
- शारीरिक श्रम से नफ़रत करना।
- कृषि-कार्य के प्रति अरुचि।
- जनसंख्या विस्फोट, अशिक्षा तथा अकुशलता।
प्रश्न 4.
राम कौशल्या के पुत्र थे और लक्ष्मण सुमित्रा के। इस प्रकार वे परस्पर सहोदर ( एक ही माँ के पेट से जन्मे ) नहीं थे। फिर, राम ने उन्हें लक्ष्य कर ऐसा क्यों कहा-“मिलइ न जगत सहोदर भ्राता”? इस पर विचार करें।
उत्तर:
राम और लक्ष्मण का जन्म यद्यपि एक ही माँ के पेट से नहीं हुआ था, लेकिन इनके पिता एक ही थे-महाराज दशरथ। इसलिए राम ने लक्ष्मण को सहोदर भ्राता कहा। लक्ष्मण ने सदा राम की सेवा की। उनके सुख के लिए अपने सुखों का त्याग कर दिया। केवल एक ही पेट से जन्म लेने वाले सगे नहीं होते बल्कि वही भाई सहोदर होता है जो पारिवारिक संबंधों को अच्छी तरह निभाता है। लक्ष्मण ने श्रीराम के दुख दूर करने के लिए जीवनभर कष्ट उठाए। राम का छोटा-सा दुख भी उनसे देखा नहीं जाता था। इसलिए राम ने उन्हें लक्ष्य कर ‘मिलइ न जगत सहोदर भ्राता’ कहा।
प्रश्न 5.
यहाँ कवि तुलसी के दोहा, चौपाई, सोरठा, कवित्त, सवैया-ये पाँच छंद प्रयुक्त हैं। इसी प्रकार तुलसी साहित्य में और छंद तथा काव्य-रूप आए हैं। ऐसे छंदों व काव्य-रूपों की सूची बनाएँ।
उत्तर:
काव्य-रूप-
प्रबंध काव्य- रामचरितमानस (महाकाव्य)।
मुक्तक काव्य- विनयपत्रिका।
गेय पद शैली- गीतावली, कृष्ण गीतावली।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
तुलसीदास का समाज कैसा था? इस बारे में लिखिए।
उत्तर:
तुलसीदास का समाज ज्यादा बेहतर नहीं था। सामाजिक मान्यताएँ खत्म होती जा रही थीं। परंपराएँ टूटती जा रही थीं। लोगों के पास कोई रोजगार नहीं था। धार्मिक कट्टरता व्याप्त थी। अंधविश्वासों के चक्र में पूरा समाज जकड़ा हुआ था। लोगों ने मर्यादाओं को ताक पर रख दिया था। नारी की स्थिति बदतर थी। उसकी हालत सबसे खराब थी।
प्रश्न 2.
तुलसी युग की आर्थिक विषमता के संदर्भ में लिखें।
उत्तर:
वर्तमान समाज की तरह तुलसी युग की आर्थिक स्थिति भी बहुत दयनीय थी। किसान को खेती नहीं थी तो व्यापारी के पास व्यापार नहीं था। लोग केवल यही सोचते रहते कि क्या करें, कहाँ जाएँ? इसी फेर में रहते कि धन कैसे और कहाँ से प्राप्त किया जाए? लोग कर्जा लेकर जीवनयापन करते थे और जब कर्जा बढ़ जाता तो आत्महत्या कर लेते थे।
प्रश्न 3.
लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने पर राम क्या सोचने लगे?
उत्तर:
जब लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा तो वे मूर्छित हो गए। यह देखकर राम भावुक हो उठे। वे सोचने लगे कि इस वन में आकर मैंने पहले तो जानकी को खो दिया अब अपने भाई को खोने जा रहा हूँ। केवल एक स्त्री के कारण मेरा भाई आज मृत्यु की गोद में सो रहा है। यदि स्त्री खो जाए तो कोई बड़ी हानि नहीं होती किंतु भाई के खो जाने से जीवनभर कलंक मेरे माथे पर रहेगा।
प्रश्न 4.
स्त्री के प्रति तुलसी युग का दृष्टिकोण कैसा था? (CBSE-2010)
उत्तर:
तुलसी का युग स्त्रियों के लिए बहुत कष्टदायी था। लोग स्त्री को घोर अपमान करते थे। पैसों के लिए वे बेटी तक को बेच देते थे। इस काल में स्त्रियों का हर प्रकार से शोषण होता था। नारी के बारे में लोगों की धारणा संकुचित थी। नारी केवल भोग की वस्तु थी। इसी कारण उसकी दशा दयनीय थी। वह शोषण की चक्की में पिसती जा रही थी।
प्रश्न 5.
क्या तुलसी का साहित्य आज भी प्रासंगिक है?
उत्तर:
तुलसी ने लगभग 450 वर्ष पहले जो कहा था, वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने अपने समाज की सभी समस्याओं का चित्रण किया। इन्हीं समस्याओं के कारण तुलसी युग का समाज पूरी तरह से बिखर चुका था। उन्होंने इन सारी विद्रुपताओं को देखा और उसका चित्रण किया। जिस प्रकार की परिस्थितियाँ उस युग में विद्यमान थी ठीक वही परिस्थितियाँ आज भी विद्यमान हैं। इसीलिए तुलसीदास का साहित्य आज भी प्रासंगिक है।
प्रश्न 6.
तुलसी की काव्य भाषा के बारे में बताइए।
उत्तर:
तुलसी ने मुख्य रूप से अवधी भाषा का प्रयोग किया है। उस युग में इसी भाषा का प्रचलन था। लोगों के बीच इसी व्यवहार की भाषा प्रचलित थी। इसीलिए तुलसी ने इस लोक व्यवहार की भाषा का प्रयोग किया है।
प्रश्न 7.
तुलसीदास की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
तुलसीदास के काव्य में कई अलंकारों का प्रयोग हुआ है। उन्होंने मुख्य रूप से उपमा, अनुप्रास, रूपक, अतिश्योक्ति, वीरता आदि अलंकारों का प्रयोग किया है। इन अलंकारों के प्रयोग से भाषा में चमत्कार उत्पन्न हुआ है। वह अधिक प्रभावी बन गई है।
प्रश्न 8.
तुलसी की छंद योजना कैसी है?
उत्तर:
तुलसी ने दोहे और चौपाई छंद का प्रयोग प्रमुखता से किया है। उन्होंने अपने सारे काव्यों में इन्हीं छंदों का प्रयोग किया। इनका प्रयोग करके तुलसी ने अपनी बात को अधिक स्पष्ट ढंग से कह दिया है। तुलसी की चौपाइयाँ इतनी सरल और प्रभावी बन पड़ी हैं कि लोग आज भी इनका काव्य पाठ करते हैं। तुलसी ने कहीं-कहीं हरिगीतिका छंद का प्रयोग भी किया है, लेकिन न्यून मात्रा में। लेकिन बहुलता दोहा और चौपाई छंदों की रही है।
प्रश्न 9.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें-
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी। जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस, कहें एक एकन सों ‘कहाँ जाई, का करी ?’ | बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत, साँकरे सबै पै, राम! रावरें कृपा करी। दारिद-दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु दुरित-दहन देखि तुलसी हेहा करी ॥ |
उत्तर:
इस पद में कवि ने तत्कालीन समाज को यथार्थपरक चित्रण किया है। कवि संकट में भगवान को ही सहारा मानता है। कवि ने दीनबंधु, दुरित दहन आदि शब्दों के द्वारा श्रीराम के विशेषणों पर प्रकाश डाला है। ‘दारिद-दसानन, दुरित-दहन’ में रूपक अलंकार है। पूरे पद में अनुप्रास अलंकार की छटा है। ब्रजभाषा का लालित्य है। गीतिकाव्य की सभी विशेषताएँ हैं। मनहर घनाक्षरी छंद का प्रयोग है। शब्द चयन उपयुक्त है। ‘हहा’ शब्द से भाव गंभीरता आई है।
प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें
तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।
अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत॥
भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।
मन महुँ जात सराहत पुनि पुनि पवनकुमार॥
उत्तर:
इस पद में हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने का संकल्प दिखाया गया है। ‘पाद पद, बाहुबल, प्रभु पद प्रीति, मन महँ’ अनुप्रास अलंकार है। पुनि-पुनि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। रूपक अलंकार है। अवधी को बोलचाल रूप है। गेयतत्व की विद्यमानता है। दोहा छंद है। वीर रस का उद्रेक हुआ है। अमिधा शब्दशक्ति है।
प्रश्न 11.
लक्ष्मण मूच्र्छा और राम का विलाप’ काव्यांश में लक्ष्मण के प्रति राम के प्रेम के कौन-कौन-से पहलू अभिव्यक्त हुए हैं?(CBSE-2013)
अथवा
तुलसीदास की संकलित चौपाइयों के आधार पर लक्ष्मण के प्रति रामं के स्नेह संबंधों पर प्रकाश डालिए। (CBSE-2010)
उत्तर:
शक्ति लगने से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे। उनकी यह दशा देखकर राम भावुक हो उठे। वे आम आदमी की तरह विलाप करने लगे। वे लक्ष्मण को वन में लाने के लिए स्वयं को दोषी मानते हैं। वे नारी हानि को भ्रातृहानि के समक्ष कुछ नहीं मानते। वे शोक व ग्लानि से पीड़ित थे। उनकी सारी संवेदनाएँ आम आदमी की तरह प्रकट हो गई।
प्रश्न 12.
कुंभकरण के द्वारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी व्याकुलता के बारे में क्या कहा और कुंभकरण से क्या सुनना पड़ा? (CBSE-2015)
उत्तर:
जब कुंभकरण ने रावण से उसकी व्याकुलता के बारे में पूछा तो रावण ने विस्तार से बताया कि उसने किस तरह सीता का हरण किया। फिर हनुमान ने अनेक राक्षसों को मार डाला और महान योद्धाओं का अंत कर दिया। कुंभकरण ने उसकी बात सुनकर उसे लताड़ा और कहा कि तूने जगत जानकी को चुराकर गलत किया। तेरा कल्याण अब संभव नहीं है।
प्रश्न 13.
तुलसी के सवैया के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि उन्हें भी जातीय भेदभाव का दबाव झेलना पड़ा था? (CBSE-2015)
उत्तर:
कवि तुलसी लोगों से कहते हैं कि वे चाहे कुछ भी कह लें धूर्त अथवा तपस्वी, राजपूत अथवा जुलाहा। इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। वह किसी भी जाति से बँधे हुए नहीं है। इन पंक्तियों से पता चलता है कि उन्हें जातीय भेदभाव का दबाव झेलना पड़ा।
इन्हें भी जानें
चौपाई
चौपाई सम मात्रिक छंद है। यह चार पंक्तियों का होता है जिसकी प्रत्येक पंक्ति में 16-16 मात्राएँ होती हैं। चालीस चौपाइयों वाली रचना को चालीसा कहा जाता है-यह तथ्य लोकप्रसिद्ध है।
दोहा
दोहा अर्धसम मात्रिक छंद है। इसके सम चरणों (दूसरे और चौथे चरण) में 11-11 मात्राएँ होती हैं तथा विषम चरणों (पहले और तीसरे) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। इनके साथ अंत लघु (1) वर्ण होता है।
सोरठा
दोहे को उलट देने से सोरठा बन जाता है। इसके सम चरणों (दूसरे और चौथे चरण) में 13-13 मात्राएँ होती हैं तथा विषम चरणों (पहले और तीसरे) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। परंतु दोहे के विपरीत इसके सम चरणों (दूसरे और चौथे चरण) में अंत्यानुप्रास या तुक नहीं रहती, विषम चरणों (पहले और तीसरे) में तुक होती है।
कवित्त
यह वार्णिक छंद है। इसे मनहरण भी कहते हैं। कवित्त के प्रत्येक चरण में 31-31 वर्ण होते हैं। प्रत्येक चरण के 16वें और फिर 15वें वर्ण पर यति रहती है। प्रत्येक चरण का अंतिम वर्ण गुरु होता है।
सवैया
चूँकि सवैया वार्णिक छंद है, इसलिए सवैया छंद के कई भेद हैं। ये भेद गणों के संयोजन के आधार पर बनते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध मत्तगयंद सवैया है इसे मालती सवैया भी कहते हैं। सवैया के प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। यहाँ प्रस्तुत तुलसी का सवैया कई भेदों को मिलाकर बनता है।
- Conquer RBSE Class 12 Physics Previous Year Question Papers
- RBSE Class 12 Physics 2025: Your Ultimate Guide to Scoring High
- Crack the Rajasthan Patwari Exam: Your Ultimate Guide to the Syllabus 2025-26!
- Master the Rajasthan Board Class 12 Arts Syllabus 2025-26 : Your Comprehensive Guide to Success!
- RBSE Class 11 Syllabus 2025-26: Your Ultimate Guide to Academic Success!
- The Molecular Journey: Your Definitive Guide to the RBSE Class 12 Chemistry Syllabus 2025-26
- Mastering the Cosmos: Your Essential Guide to the RBSE Class 12 Physics Syllabus 2025-26
- Cracking the Code: Your Comprehensive Guide to the RBSE Class 12 Maths Syllabus 2025-26
- Unlocking Success: Your Guide to the RBSE Class 12 Science Syllabus 2025-26
- RBSE Class 12 Syllabus 2025-26: Your Essential Guide to Board Exam Success
- राजस्थान पटवार भर्ती 2025: सरकारी नौकरी का सुनहरा अवसर, जानें आवेदन से लेकर चयन तक की पूरी जानकारी!
- RPSC First Grade History Answer Key 2025: Your Essential Guide to Verification and Objections
- RPSC First Grade Result 2025: All You Need to Know About Your Path to Success
- RPSC First Grade Political Science Answer Key 2025: Your Guide to Checking Results and Raising Objections
- RPSC First Grade Maths Cutoff 2025: What to Expect and How to Analyze Your Chances
- RPSC First Grade Teacher Exam 2025: An Overview
- Master Class 7 with RBSE Books: Your Comprehensive Guide to Success
- Conquer Your Dream University with CUET: Your Ultimate Guide to Success!
- Crack NEET 2025: Your Ultimate Roadmap to Success in India’s Premier Medical Entrance Exam
- Master RBSE Class 10 Maths 2025: Your Ultimate Guide to Scoring Full Marks with Top Solutions!
- Conquer Your RBSE Class 10 Exams with Top-Rated Solutions: Your Ultimate Study Companion!
- Mastering Class 10: Your Ultimate Guide to Scoring Top Marks in the Board Exams
- RBSE Class 10 Result 2025: All You Need to Know for a Smooth Result Day
- Master Your Exams: Comprehensive RBSE Class 12 Solutions for 2025 Board!
- RBSE कक्षा 7वीं सिलेबस 2024-25: विषयवार पाठ्यक्रम और महत्वपूर्ण जानकारी
- Class 5 Time Table 2025: Check Subject-Wise Exam Schedule, Tips & Updates
- RBSE Class 5 Hindi Book PDF | राजस्थान बोर्ड कक्षा 5 हिंदी पुस्तक पीडीएफ डाउनलोड करें
- Class 12 History Book 2025: Updated Curriculum, Chapters, and Key Highlights
- Class 12 Chemistry NCERT Solutions 2025 – Download Chapter-wise PDF Free
- RBSE Class 12 Chemistry Book PDF Download in English – 2025 Edition
- RBSE Class 12 Chemistry Chapter Wise Weightage 2025 – Complete Marks Distribution
- RBSE Class 10 History Book PDF in Hindi – Download Rajasthan Board 2025 Edition
- RBSE Result 2024: Check Rajasthan Board 10th & 12th Results, Direct Link & Latest Updates
- REET 2025 Answer Key: Download PDF, Exam Analysis & Expected Cutoff
- Class 12 Physics Books, Syllabus, Notes & Solutions 2025
- राजस्थान पशु परिचर रिजल्ट 2024 | RSMSSB Animal Attendant Result 2025 : यहाँ देखें अपना परिणाम @rssb.rajasthan.gov.in
Conclusion
RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8: कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप provides students with a detailed understanding of Tulsidas’s portrayal of Ram’s grief and the brotherly bond between Ram and Lakshman. The emotional depth of this poem makes it a significant part of the syllabus, offering insights into the themes of love, sacrifice, and familial duty.
By referring to these solutions, students can enhance their grasp of the poem and prepare effectively for their board exams.
FAQs
कवितावली का यह अंश किस महाकाव्य से लिया गया है?
यह अंश “रामायण” के उत्तर कांड से लिया गया है, जिसे तुलसीदास ने कवितावली में वर्णित किया है।
राम के विलाप में कौन सी भावना प्रमुख रूप से व्यक्त की गई है?
राम के विलाप में उनके भाई लक्ष्मण के प्रति गहरा प्रेम और चिंता व्यक्त की गई है।
इस काव्यांश में तुलसीदास ने किस भाषा का प्रयोग किया है?
तुलसीदास ने सरल, प्रवाहपूर्ण और भावनात्मक भाषा का प्रयोग किया है, जो पाठकों को भावुक कर देती है।